Bharat Mata Ki Jai

Bharat Mata Ki Jai
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

Monday, 31 December 2012

आप सभी को नव वर्ष की मंगल कामनाएं

हर जाने वाला साल 
इतिहास बन जाता हैं 
हर आने वाला साल 
वर्तमान में दाखिल हो जाता हैं 
वक्त के आईने में 
जब भी जाने वाले साल को देखा 
तो -लगा 
सबको विरासत में 
मिले है ...कुछ सुख -दुःख 
कुछ यादे कड़वी -मीठी सी 
कुछ दोस्त -कुछ दुश्मन 
और मिला है एक काफिला 
जो संग अपने चलने को साथ 
हो लिया ..अपना बन के 
मन में ही बसेरा कर लिया |

है चाह सभी की 
बादल धुंधले अँधेरे के 
छट जाएँ जीवन से 
नवभोर की उजली किरण -सी 
आशा जग जाए जीवन में ,
आओ रे मेरे साथियों 
मिल कर करे प्रवेश ,
नववर्ष में 
एक बार फिर से देखे नए सिरे से 
अपना बचपन और जवानी 
लिखे रोज एक नयी कहानी 
काहे की ये तनातनी ,
छोडो ये उदासी 
मारो अपने ही अहम को 
आओ नए साल में 
शुभ संकल्पों को लेकर 
हाथ थाम कर एक दूजे का 
साथ चले फिर से मिलजुल कर |


वर्षभर जो कुछ अच्छा या अनचाहा अप्रिय घटित होता है उसका मन पर असर हमेशा बना रहता है वर्तमान परिदृश्य देख लगता है कि अनुपयुक्त के अनाचारों को उलट कर उसके स्थान पर औचित्य की नीति - निष्ठा पुनः प्रतिस्थापित करने की आवश्कता हैं मानसून उठते देख जल्दी ही वर्षा होने की परिकल्पना तो हर कोई समझदार कर सकता है, लेकिन किसी तीव्र तूफ़ान के आने का पूर्वानुमान हर किसी को हो जाय, यह संभव नहीं आज अवांछनीय प्रचलनों के फलस्वरूप उत्पन्न असंतुलन से मानव जाति कही न कहीं त्रस्त दिखाई देती है, इस अन्धकार को चुनौती देने वाला प्रभात उषाकाल में अपने आगमन की सूचना दे रहा हैं आओ इस नववर्ष के सुप्रभात की बेला का स्वागत कर 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा को अपने-अपने स्तर पर साकार करने का संकल्प लेकर मनाएं |
आज हमारा देश कई तरह की तकलीफों से गुजर रहा है। हमें देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए मिलजुल कर काम करना होगा | मै आप सभी से यह आग्रह करता हूं कि हर कोई यदि आपस में मिलजुल कर रहे तो हर काम जहां संभव होगा, वहीं आपसी एकता को भी बढ़ावा मिलेगा।
आपके इस भाई कि तरफ से आप सभी को नव वर्ष की मंगल कामनाएं, आप सभी को दुनिया की सारी खुशियाँ मिले ...


                                                                                               -  जय हिन्द जय भारत

Monday, 1 October 2012

भारत माता के सपूत लाल बहादुर शास्त्री को शत् शत् नमन...

पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य हमेशा से भारत की जनता के लिए रहस्य ही रहा है। अब यह रहस्य और गहरा गया है। भारत सरकार सुभाषचंद्र बोस और लालबहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों के जीवन को इतना रहस्यमय क्यों मानती है? आधिकारिक तौर पर शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई जबकि उनकी पत्नी श्रीमती ललिता शास्त्री ने यह आरोप लगाया कि उनकी मौत जहर से हुई है... कई लोगों का मानना है कि उनका शरीर नीला पड़ गया था जो विषाक्तता का प्रमाण है... वास्तव में विषाक्तता के संदेह में एक रसियन खानसामा गिरफ्तार भी किया गया था लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया...विदेश मंत्रालय ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत को लेकर मास्को स्थित भारतीय दूतावास के साथ पिछले 47 साल के दौरान हुए पत्र व्यवहार का यह कहते हुए खुलासा करने से इनकार कर दिया है कि इससे देश की संप्रभुता और अखंडता तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उसके पास ताशकंद में 1966 को हुई शास्त्री की मत्यु के संबंध में केवल एक मेडिकल रिपोर्ट को छोड़ कर कोई दस्तावेज नहीं है। यह मेडिकल रिपोर्ट उस डॉक्टर की है जिसने उनकी जांच की थी। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने भारत और पूर्ववर्ती सोवियत संघ के बीच शास्त्री की मौत को लेकर हुए पत्र व्यवहार के बारे में चुप्पी साध ली थी।'s Eye On South Asia के लेखक अनुज धर ने सूचना का अधिकार के अंतर्गत दिए गए अपने आवेदन में प्रधानमन्त्री कार्यालय से शास्त्री जी की मौत के बाद विदेश मंत्रालय और मास्को स्थित भारतीय दूतावास तथा दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच हुए पत्र व्यवहार का ब्यौरा मांगा था.. उन्होंने यह भी कहा था कि अगर कोई पत्र व्यवहार नहीं हुआ है तो इसकी भी जानकारी दी जाए..धर ने दिवंगत प्रधानमंत्री की जांच करने वाले डॉक्टर आर एन चुग की मेडिकल रिपोर्ट भी मांगी थी जो शास्त्री जी के पोते और भाजपा प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह के अनुसार, सार्वजनिक संपत्ति है...मंत्रालय ने यह नहीं कहा कि कोई पत्र व्यवहार हुआ या नहीं.. उसने जवाब दिया कि जो सूचनाएं मांगी गई हैं उन्हें सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 (एक) (ए) के तहत जाहिर नहीं किया जा सकता... इस धारा के तहत ऐसी सूचना के खुलासे पर रोक है जिससे देश की संप्रभुता और अखंडता पर तथा विदेश से संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो..मंत्रालय ने इस धारा के तहत छूट मांगने का कारण नहीं बताया जबकि केंद्रीय सूचना आयोग के आदेशों के अनुसार कारण बताना आवश्यक है.. वर्ष 1965 में हुए भारत पाक युद्ध के बाद शास्त्री जी जनवरी 1966 में पूर्ववर्ती सोवियत संघ में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान के साथ एक बैठक के लिए ताशकंद गए थे। संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही घंटे के बाद शास्त्री जी की रहस्यमय परिस्थितियों में मत्यु हो गई थी।        सिंह ने बताया कि डाक्टर की रिपोर्ट सार्वजनिक की जा चुकी है.. मेरे पास इसकी एक प्रति है.. इसमें डाक्टर ने अंत में लिखा है -हो सकता है -इससे ऐसा लगता है कि उनकी मौत का कारण जैसे कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जिसका मतलब दिल का दौरा हो सकता है। प्रधानमंत्री की मौत को आप इस तरह नहीं बता सकते-इसके लिए आपको 100 फीसदी निश्चित होना होगा...धर का कहना है कि विदेश में प्रधानमंत्री की मौत से खासी हलचल हुई होगी और मास्को स्थित भारतीय दूतावास में भी गतिविधियां कम नहीं हुई होंगी.. उन्होंने कहा इस घटना को लेकर कई फोन और टेलीग्राम आए होंगे लेकिन विदेश मंत्रालय इनमें से किसी का भी खुलासा करने को तैयार नहीं है।धर के अनुसार, पहले उन्होंने कहा कि मास्को स्थित भारतीय दूतावास में डा चुग की रिपोर्ट के अलावा कोई दस्तावेज नहीं है..अब वे कहते हैं कि वे फोन कॉल्स और टेलीग्राम का ब्यौरा जाहिर नहीं कर सकते... इसका मतलब यह है कि ये रिकॉर्डस हैं लेकिन पहले कह दिया गया कि रिकार्डस नहीं हैं..


भारत माता के सपूत लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवस पर शत् शत् नमन...






अमर शहीद सरदार भगतसिंह को शत् शत् नमन









Friday, 14 September 2012







हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा...........



शब्दों को जन्म ही नही दिया
जीवन की आशा दी है
हिंदी तुम ने हर एक भाव को
कोई परिभाषा दी है

जननी हो कर नयी
भाषाओं को रचा है
तुम ने जो भी कह दिया
हर शब्द सच्चा है

तुम माँ हो यही सच है
तुम से दूर क्यों रहा जाए
तुम मे ही हर दिन का काज
किया जाए जो किया जाए
कहा जाए जो कहा जाए
तुम से दूर क्यों रहा जाए


गंगाजल सी निर्मल हो
ममता जैसी सरल हो
तुम सभी देवताओं की
अर्चनाओं का फल हो

तुम मे बालक की हथेली कभी
कभी आकाश सा फैलाव है
तुम उसे साँचा दे देती हो
मेरे पास जो भी भाव है

अब दूरीया सब मिटानी हैं
तुम्हारे पास मैं सदा रहूँगा
तुम जो कहोगी मैं लिखूँगा
तुम जो लिखोगी मैं कहूँगा
तुम्हारे पास मैं सदा रहूँगा.......

हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई





हिन्दी दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। हिन्दी, विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और अपने आप में एक समर्थ भाषा है। प्रकृति से यह उदार ग्रहणशील, सहिष्णु और भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है। इस दिन विभिन्न शासकीय - अशासकीय कार्यालयों, शिक्षा संस्थाओं आदि में विविध गोष्ठियों, सम्मेलनों, प्रतियोगिताओं तथा अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कहीं- कहीं 'हिन्दी पखवाडा' तथा 'राष्ट्रभाषा सप्ताह' इत्यादि भी मनाये जाते हैं। विश्व की एक प्राचीन, समृद्ध तथा महान भाषा होने के साथ ही हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा भी है, अतः इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करने के लिए ऐसे आयोजन स्वाभाविक ही हैं, परन्तु, दुःख का विषय यह है की समय के साथ - साथ ये आयोजन केवल औपचारिकता मात्र बनते जा रहे हैं।

भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी । इसी महत्त्वपूर्ण निर्णय के महत्त्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी - दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हिंदी भाषा को हम राष्ट्र भाषा के रूप में पहचानते हैं। हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है।देश के गुलामी के दिनों में यहाँ अँग्रेज़ी शासनकाल होने की वजह से, अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ गया था। लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात देश के कई हिस्सों को एकजुट करने के लिए एक ऐसी भाषा की जरुरत थी जो सर्वाधिक बोली जाती है, जिसे सीखना और समझना दोनों ही आसान हों।



समन्वय निवेदन:-


आप सभी से अनुरोध है अपने दैनिक जीवन में हिन्दी को प्रथम स्थान देने का संकल्प करे|
-- जय हिन्द जय भारत

Wednesday, 15 August 2012

स्वतंत्रता दिवस की आप सबको बधाई.



कुछ कर गुजरने की गर तमन्ना उठती हो दिल में
भारत 
माँ का नाम सजाओ दुनिया की महफिल में |

हर तूफान को मोड़ दे जो हिन्दोस्तान से टकराए
चाहे तेरा सीना हो छलनी तिरंगा उंचा ही लहराए |

बंद करो ये तुम आपस में खेलना अब खून की होली
उस 
माँ को याद करो जिसने खून से चुन्नर भिगोली |

किसकी राह देख रहा, तुम खुद सिपाही बन जाना
सरहद पर ना सही, सीखो आंधियारो से लढ पाना |

इतना ही कहेना काफी नही भारत हमारा मान है
अपना फ़र्ज़ निभाओ देश कहे हम उसकी शान है |

विकसित होता राष्ट्र हमारा, रंग लाती हर कुर्बानी है
फक्र से अपना परिचय देतेहम सारे हिन्दोस्तानी है |

स्वतंत्रता दिवस की आप सबको बधाई.

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं


रंगबिरंगी फूलों का चमन सजा हो जैसे 
हर धर्म को अपने मन में बसाया है वैसे 
विविधता की झाकियों का दर्शन कराता
अनेकता में एकता का संदेसा पहुचाता
भारतवासी को लगता जान से प्यारा 
ये हिन्दोस्तान सारा ,ये गुलिस्ताँ हमारा | 

सोने की चिड़िया करती अब भी यहाँ बसेरा 
अथांग सागर से बनी ताकत,तीनो किनारा 
हिमालय की उँची चोटिया जिसका सहारा 
नादिया उसकी गोदी में पलती,बसती,बहती 
चमकीला कोहिनूर वो,दुनिया में सबसे न्यारा 
ये हिन्दोस्तान सारा , ये गुलिस्ताँ हमारा | 

आज़ादी के बाद क्यों फैला ये अंधियारा 
किस बात की लढाईकिसने किसको मारा 

भूल जाए आपस के मतभेद आज के दिंन से 
बनाओ फिर सबको अपना एक बार दिल से  
रौशन करा दो चिरागे,खिल जाए उजियारा 
ये हिन्दोस्तान सारा , ये गुलिस्ताँ हमारा | 

एसे धीरज खोकर बिगड़े काम ना बन पाए 
हिम्मत धाडस मन में बांध ले,समझाए 
मिलकर कोशिश करो फिर हरियाली छाए 
सत्ता की नही जरूरत,वो बिसरा अमन लाए 
उठ जाओ,बढ़ाओ कदम,अब देस ने पुकारा 
ये हिन्दोस्तान सारा , ये गुलिस्ताँ हमारा | 

Sunday, 12 August 2012

भारत माता को कोटि - कोटि नमन








     मैं भारत माता को कोटि - कोटि  नमन करता हूँ - संतोष कुमार

यह हिंदुस्तान है अपना


यह हिंदुस्तान है अपना
हमारे युग-युग का सपना
हरी धरती है नीलगगन
मगन हम पंछी अलबेले

मुकुट-सा हिमगिरि अति सुंदर
चरण रज लेता रत्नाकर
हृदय गंगा यमुना बहती
लगें छ: ऋतुओं के मेले


 


राम-घनश्याम यहाँ घूमे
सूर-तुलसी के स्वर झूमे
बोस-गांधी ने जन्म लिया
जान पर हँस-हँस जो खेले

कर्म पथ पर यह सदा चला
ज्ञान का दीपक यहाँ जला
विश्व में इसकी समता क्या
रहे हैं सब इसके चेले।

वंदन मेरे देश


वंदन मेरे देश-तेरा वंदन मेरे देश
पूजन अर्चन आराधन अभिनंदन मेरे देश
तुझसे पाई माँ की ममता
और पिता का प्यार
तेरे अन्न हवा पानी से
देह हुई तैयार
तेरी मिट्टी-मिट्टी कब है चंदन मेरे देश
वंदन मेरे देश-तेरा वंदन मेरे देश

भिन्न भिन्न भाषाएँ भूषा
यद्यपि धर्म अनेक
किंतु सभी भारतवासी हैं
सच्चे दिल से एक
तुझ पर बलि है हृदय-हृदय स्पंदन मेरे देश
वंदन मेरे देश-तेरा वंदन मेरे देश

पर्वत सागर नदियाँ
ऐसे दृश्य कहाँ
स्वर्ग अगर है कहीं धरा पर
तो है सिर्फ़ यहाँ
तू ही दुनिया की धरती का नंदन मेरे देश
वंदन मेरे देश-तेरा वंदन मेरे देश|

                        Santosh Kumar.

Thursday, 22 March 2012

देश के तीन क्रांतिकारी सपूतों को नमन:





उरूजे कामयाबी पर कभी हिन्दोस्ताँ होगा
रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियाँ होगा
चखाएँगे मज़ा बर्बादिए गुलशन का गुलचीं को
बहार आ जाएगी उस दम जब अपना बाग़बाँ होगा
ये आए दिन की छेड़ अच्छी नहीं ऐ ख़ंजरे क़ातिल
पता कब फ़ैसला उनके हमारे दरमियाँ होगा
जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दे वतन हरगिज़













न जाने बाद मुर्दन मैं कहाँ औ तू कहाँ होगा
वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है
सुना है आज मक़तल में हमारा इम्तिहाँ होगा
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा
कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे
जब अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमाँ होगा

भारत माता के तीन वीर सपूत 

भगतसिंह :    शहीद ए आजम का जन्म 1907 में 27 और 28 सितंबर की रात पंजाब के लायलपुर जिले [वर्तमान में पाकिस्तान का फैसलाबाद] के बांगा गांव में हुआ था। इसलिए इन दोनों ही तारीखों में उनका जन्मदिन मनाया जाता है। लाहौर सेंट्रल कालेज से शिक्षा ग्रहण करते समय वह आजादी की लड़ाई में सक्रिय रूप से शामिल हो गए और अंग्रेजों के खिलाफ कई क्रांतिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने के मामले में उन्हें काला पानी की सजा हुई इसलिए उन्हें अंडमान निकोबार की सेल्युलर जेल में भेज दिया गया लेकिन इसी दौरान पुलिस ने सांडर्स हत्याकांड के सबूत जुटा लिए और इस मामले में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। 

शहीद सुखदेव : सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को पंजाब को लायलपुर पाकिस्तान में हुआ। भगतसिंह और सुखदेव के परिवार लायलपुर में पास-पास ही रहने से इन दोनों वीरों में गहरी दोस्ती थी, साथ ही दोनों लाहौर नेशनल कॉलेज के छात्र थे। सांडर्स हत्याकांड में इन्होंने भगतसिंह तथा राजगुरु का साथ दिया था।

शहीद राजगुरु : 24 अगस्त, 1908 को पुणे जिले के खेड़ा में राजगुरु का जन्म हुआ। शिवाजी की छापामार शैली के प्रशंसक राजगुरु लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से भी प्रभावित थे। पुलिस की बर्बर पिटाई से लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए राजगुरु ने 19 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेज सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स को गोली मार दी थी और खुद ही गिरफ्तार हो गए थे। 





पिताजी के नाम भगतसिंह का पत्र :
पूज्य पिताजी, 
नमस्ते 

मेरी जिंदगी मकसदे आला (ऊँचा उद्देश्य) यानी आजादी-ए-हिन्द के असूल (सिद्धांत) के लिए वक्फ (दान) हो चुकी है। इसलिए मेरी जिंदगी में आराम और दुनियावी खाहशात (सांसारिक इच्छाएँ) वायसे कशिश (आकर्षक) नहीं है। 

आपको याद होगा कि जब मैं छोटा था तो बापूजी ने मेरे यज्ञोपवीत के वक्त ऐलान किया था कि मुझे खिदमते वतन (देशसेवा) के लिए वक्फ कर दिया गया है। लिहाजा मैं उस वक्त की प्रतिज्ञा पूरी कर रहा हूँ। 

उम्मीद है आप मुझे माफ फरमाएँगे


आपका ताबेदार 
भगतसिंह 

-जय हिंद