Bharat Mata Ki Jai

Bharat Mata Ki Jai
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

Friday 14 September 2012

हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा...........



शब्दों को जन्म ही नही दिया
जीवन की आशा दी है
हिंदी तुम ने हर एक भाव को
कोई परिभाषा दी है

जननी हो कर नयी
भाषाओं को रचा है
तुम ने जो भी कह दिया
हर शब्द सच्चा है

तुम माँ हो यही सच है
तुम से दूर क्यों रहा जाए
तुम मे ही हर दिन का काज
किया जाए जो किया जाए
कहा जाए जो कहा जाए
तुम से दूर क्यों रहा जाए


गंगाजल सी निर्मल हो
ममता जैसी सरल हो
तुम सभी देवताओं की
अर्चनाओं का फल हो

तुम मे बालक की हथेली कभी
कभी आकाश सा फैलाव है
तुम उसे साँचा दे देती हो
मेरे पास जो भी भाव है

अब दूरीया सब मिटानी हैं
तुम्हारे पास मैं सदा रहूँगा
तुम जो कहोगी मैं लिखूँगा
तुम जो लिखोगी मैं कहूँगा
तुम्हारे पास मैं सदा रहूँगा.......

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