Bharat Mata Ki Jai

Bharat Mata Ki Jai
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

Wednesday 20 February 2013

वंदन मेरे देश – तेरा वंदन मेरे देश 
पूजन, अर्चन, आराधन, अभिनन्दन मेरे देश 

तुझसे पाई माँ की ममता 
और पिता का प्यार 
तेरे अन्न, हवा, पानी से 
देह हुई तैयार 
तेरी मिट्टी-मिट्टी कब है, चंदन मेरे देश 
वंदन मेरे देश – तेरा वंदन मेरे देश

भिन्न-भिन्न भाषाएँ, भूषा 
यद्यपि धर्म अनेक 
किन्तु सभी भारतवासी हैं 
और हृदय है एक 
तुझ पर बलि है, हृदय –हृदय का स्पंदन मेरे देश 
वंदन मेरे देश – तेरा वंदन मेरे देश

पर्वत, सागर, नदियाँ 
ऐसा दृश्य कहाँ,
स्वर्ग अगर है कहीं धरा पर 
तो है सिर्फ यहाँ 
तू ही दुनियाँ की धरती का वंदन मेरे देश 
वंदन मेरे देश – तेरा वंदन मेरे देश

Tuesday 12 February 2013

वह देश कौन-सा है...


मन मोहनी प्रकृति की गोद में जो बसा है। 

सुख स्वर्ग-सा जहाँ है वह देश कौन-सा है।।


जिसका चरण निरंतर रतनेश धो रहा है। 

जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है।।


नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं। 

सींचा हुआ सलोना वह देश कौन-सा है।।


जिसके बड़े रसीले फल कंद नाज मेवे। 

सब अंग में सजे हैं वह देश कौन-सा है।।


जिसमें सुगंध वाले सुंदर प्रसून प्यारे। 

दिन रात हँस रहे है वह देश कौन-सा है।।


मैदान गिरि वनों में हरियालियाँ लहकती। 

आनंदमय जहाँ है वह देश कौन-सा है।।


जिसके अनंत धन से धरती भरी पड़ी है। 

संसार का शिरोमणि वह देश कौन-सा है।।



                 - रामनरेश त्रिपाठी