हर जाने वाला साल
इतिहास बन जाता हैं
हर आने वाला साल
वर्तमान में दाखिल हो जाता हैं
वक्त के आईने में
जब भी जाने वाले साल को देखा
तो -लगा
सबको विरासत में
मिले है ...कुछ सुख -दुःख
कुछ यादे कड़वी -मीठी सी
कुछ दोस्त -कुछ दुश्मन
और मिला है एक काफिला
जो संग अपने चलने को साथ
हो लिया ..अपना बन के
मन में ही बसेरा कर लिया |
है चाह सभी की
बादल धुंधले अँधेरे के
छट जाएँ जीवन से
नवभोर की उजली किरण -सी
आशा जग जाए जीवन में ,
आओ रे मेरे साथियों
मिल कर करे प्रवेश ,
नववर्ष में
एक बार फिर से देखे नए सिरे से
अपना बचपन और जवानी
लिखे रोज एक नयी कहानी
काहे की ये तनातनी ,
छोडो ये उदासी
मारो अपने ही अहम को
आओ नए साल में
शुभ संकल्पों को लेकर
हाथ थाम कर एक दूजे का
साथ चले फिर से मिलजुल कर |
वर्षभर जो कुछ अच्छा या अनचाहा अप्रिय घटित होता है उसका मन पर असर हमेशा बना रहता है। वर्तमान परिदृश्य देख लगता है कि अनुपयुक्त के अनाचारों को उलट कर उसके स्थान पर औचित्य की नीति - निष्ठा पुनः प्रतिस्थापित करने की आवश्कता हैं। मानसून उठते देख जल्दी ही वर्षा होने की परिकल्पना तो हर कोई समझदार कर सकता है, लेकिन किसी तीव्र तूफ़ान के आने का पूर्वानुमान हर किसी को हो जाय, यह संभव नहीं। आज अवांछनीय प्रचलनों के फलस्वरूप उत्पन्न असंतुलन से मानव जाति कही न कहीं त्रस्त दिखाई देती है, इस अन्धकार को चुनौती देने वाला प्रभात उषाकाल में अपने आगमन की सूचना दे रहा हैं। आओ इस नववर्ष के सुप्रभात की बेला का स्वागत कर 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा को अपने-अपने स्तर पर साकार करने का संकल्प लेकर मनाएं |
आज हमारा देश कई तरह की तकलीफों से गुजर रहा है। हमें देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए मिलजुल कर काम करना होगा | मै आप सभी से यह आग्रह करता हूं कि हर कोई यदि आपस में मिलजुल कर रहे तो हर काम जहां संभव होगा, वहीं आपसी एकता को भी बढ़ावा मिलेगा।
इतिहास बन जाता हैं
हर आने वाला साल
वर्तमान में दाखिल हो जाता हैं
वक्त के आईने में
जब भी जाने वाले साल को देखा
तो -लगा
सबको विरासत में
मिले है ...कुछ सुख -दुःख
कुछ यादे कड़वी -मीठी सी
कुछ दोस्त -कुछ दुश्मन
और मिला है एक काफिला
जो संग अपने चलने को साथ
हो लिया ..अपना बन के
मन में ही बसेरा कर लिया |
है चाह सभी की
बादल धुंधले अँधेरे के
छट जाएँ जीवन से
नवभोर की उजली किरण -सी
आशा जग जाए जीवन में ,
आओ रे मेरे साथियों
मिल कर करे प्रवेश ,
नववर्ष में
एक बार फिर से देखे नए सिरे से
अपना बचपन और जवानी
लिखे रोज एक नयी कहानी
काहे की ये तनातनी ,
छोडो ये उदासी
मारो अपने ही अहम को
आओ नए साल में
शुभ संकल्पों को लेकर
हाथ थाम कर एक दूजे का
साथ चले फिर से मिलजुल कर |
वर्षभर जो कुछ अच्छा या अनचाहा अप्रिय घटित होता है उसका मन पर असर हमेशा बना रहता है। वर्तमान परिदृश्य देख लगता है कि अनुपयुक्त के अनाचारों को उलट कर उसके स्थान पर औचित्य की नीति - निष्ठा पुनः प्रतिस्थापित करने की आवश्कता हैं। मानसून उठते देख जल्दी ही वर्षा होने की परिकल्पना तो हर कोई समझदार कर सकता है, लेकिन किसी तीव्र तूफ़ान के आने का पूर्वानुमान हर किसी को हो जाय, यह संभव नहीं। आज अवांछनीय प्रचलनों के फलस्वरूप उत्पन्न असंतुलन से मानव जाति कही न कहीं त्रस्त दिखाई देती है, इस अन्धकार को चुनौती देने वाला प्रभात उषाकाल में अपने आगमन की सूचना दे रहा हैं। आओ इस नववर्ष के सुप्रभात की बेला का स्वागत कर 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा को अपने-अपने स्तर पर साकार करने का संकल्प लेकर मनाएं |
आज हमारा देश कई तरह की तकलीफों से गुजर रहा है। हमें देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए मिलजुल कर काम करना होगा | मै आप सभी से यह आग्रह करता हूं कि हर कोई यदि आपस में मिलजुल कर रहे तो हर काम जहां संभव होगा, वहीं आपसी एकता को भी बढ़ावा मिलेगा।
आपके इस भाई कि तरफ से आप सभी को नव वर्ष की मंगल कामनाएं, आप सभी को दुनिया की सारी खुशियाँ मिले ...
- जय हिन्द जय भारत
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