Bharat Mata Ki Jai

Bharat Mata Ki Jai
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

Wednesday 16 March 2011

जहाँ डाल्-डाल् पर्
सोने की चिड़ियां करती है बसेरा
वो भारत् देश् है मेरा
जहाँ सत्य अहिंसा और् धर्म् का
पग्-पग् लगता डेरा
वो भारत् देश् है मेरा
ये धरती वो जहां ऋषि मुनि
जपते प्रभु नाम् की माला
जहां हर् बालक् एक् मोहन् है
और् राधा हर् एक् बाला
जहां सूरज् सबसे पहले आ कर्
डाले अपना फेरा
वो भारत् देश् है मेरा
अलबेलों की इस् धरती के
त्योहार् भी है अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग् है
कहीं हैं होली के मेले
जहां राग् रंग् और् हँसी खुशी का
चारो और् है घेरा
वो भारत् देश् है मेरा
जहां आसमान् से बाते करते
मंदिर् और् शिवाले
जहां किसी नगर् मे किसी द्वार् पर्
को न ताला डाले
प्रेम् की बंसी जहां बजाता
है ये शाम् सवेरा
वो भारत् देश् है मेरा॥

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