Bharat Mata Ki Jai

Bharat Mata Ki Jai
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

Wednesday 16 March 2011

इसीलिए देश आजाद है

वे आबाद हैं
इसीलिए देश आजाद है
तीन रंगों कि गीली आज़ादी
हर साल रंगीन हो जाती है
ये देश इतना पावन है
के देश भक्ति एक सावन है
कब बरस जाये
और यह रंग बह जायें
स्कूलों मैं राष्ट्र वंदना गाते हैं
समोसे से जले हाथ को झंडे से सहलाते हैं..
हिन्दू मुस्लिम विवाद धार्मिक है
और धर्म मैं कभी कभी कपडे भी फट जाते हैं..
हर चुनाव के परिणाम मैं
ग़रीब कहता है
" कि अगर वो नेता होता
तो कुछ दुखी नहीं होने देता"
मगर किस को मालूम कि सत्ता उस चूने का नाम है
जो ठेले मैं पान के साथ खा लिया जाता है
क्या कहें कि राजनीती मजबूरी का नाम है
एक तरफ मछली सा पेट
एक तरफ आवाम है
और वे सभी मुझ से सहमत हैं
के यह देश एक तहमत है
जब भारी लगा पहनो
हल्का लगा उतार दो
सबके हाथ मैं देश का झंडा है
कि देश चलाना बनिए का धंधा है
गुनाह काले तवे पर सफ़ेद सा सिकता है
देश का झंडा आठ आने मैं बाज़ार मैं बिकता है
देशभक्ति हमारी फितरत नहीं आदत है
आदत बुरी है, आदत शामत है.

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