Bharat Mata Ki Jai

Bharat Mata Ki Jai
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

Sunday, 3 November 2013

" इसबार दिवाली में ले हम यह प्रण "

                                    ।। शुभ दीपावली ।।
 सेवा, दया, सहिष्णुता और मानवता का,
हम हर प्राणी के हृदय में दीप जलयेंगे।

शुद्ध आचरण और सत्कर्मों के दम पर,
हम भारतवर्ष को सर्वश्रेष्ट बनायेंगे।

इसबार दिवाली में ले हम यह प्रण,
अंतर्मन का हर कोना दीपों से जगमगायेंगे।

ग़लत आचरण का प्रादुर्भाव, ग़लत सौंच पर,
हम अविलम्ब अभी से पूर्णतः अंकुश लगयेंगे।

नैतिकता और सत्कर्म के पथ पर चलकर,
हम धन-वैभव, यश, प्रेम-भाव पाएँगे।

इसबार दिवाली में ले हम यह प्रण,
अंतर्मन का हर कोना दीपों से जगमगायेंगे।

कर लो यह दृढ़ संकल्प मन में "संतोष",
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह को तजकर,

क्षणभंगुर क्षणिक इस भौतिक जीवन को,
सत्कर्मो से शास्वत करके मानवता तक पहुंचाउंगा।

इसबार दिवाली में ले हम यह प्रण,
अंतर्मन का हर कोना दीपों से जगमगायेंगे।

----- संतोष कुमार  (अंतर्मन द्वारा रचित)

ज्योति और प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें । बुराई की हार, खुशियों का त्यौहार प्यार की बौछार, मिठाईयो की बहार । दिवाली के इस शुभ अवसर पर, आप सभी को मिले खुशियाँ अपार
                             ।। शुभ दीपावली ।।
 

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