Bharat Mata Ki Jai

Bharat Mata Ki Jai
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

Monday 20 June 2011

वन्देमातरम गीत नहीं मैं मंत्र हूँ जीने-मरने का


वन्देमातरम गीत नहीं मैं मंत्र हूँ जीने-मरने का
बना रहे हथियार मुझे क्यों अपनो से ही लड़ने का |

जिनने अपनाया मुझको वे सबकुछ अपना भूल गए,
मात्रु -भूमि पर जिए-मरे हंस-हंस फंसी पर झूल गए |
वीर शिवा, राणा, हमीद लक्ष्मीबाई से अभिमानी,
भगतसिंह, आजाद, राज, सुख और बिस्मिल से बलिदानी |
अवसर चूक न जाना उनके पद-चिन्हों पर चलने का
वन्देमातरम गीत नहीं मैं मंत्र हूँ जीने-मरने का |

करनेवाले काम बहुत हैं व्यर्थ उलझनों को छोड़ो,
मुल्ला-पंडित तोड़ रहे हैं तुम खुद अपनों को जोड़ो |
भूख, बीमारी, बेकारी, दहशत गर्दी को मिटाना है,
ग्लोबल-वार्मिंग चुनौती से अपना विश्व बचाना है |
हम बदलें तो युग बदले बस मंत्र यही है सुधरने का
वन्देमातरम गीत नहीं मैं मंत्र हूँ जीने-मरने का |

चंदा-तारे सुख देते पर पोषण कभी नहीं देते,
केवल धरती माँ से ही ये वृक्ष जीवन रस लेते |

जननी और जन्म-भूमि को ज़न्नत से बढ़कर मानें,
पूर्वज सारे एक हमारे इसी तथ्य को पहचानें |
जागो-जागो यही समय है अपनीं जड़ें पकडनें का |
वन्देमातरम गीत नहीं मैं मंत्र हूँ जीने-मरने का | 

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