राष्ट्र हित जीवन समर्पित राष्ट्र हित तन मन राष्ट्र हित धन धान्य मेरा राष्ट्र हित चिंतन एकता की डोर में माला पिरोई है धूप चंदन गंध में आशा डुबोई है एक आस्था एक निष्ठा सजा थाली में भारती की आरती मोहक संजोई है राष्ट्र हित आराधना है राष्ट्र हित अर्पण राष्ट्र हित जीवन समर्पित राष्ट्र हित तन मन बिन थके हर मोड़ से हम सीख लेते हैं पवन के विपरीत अपनी नाव खेते हैं अनकहे अनगिन विचारों को मिला है स्वर अधबने हर घोंसले को प्रीति देते हैं राष्ट्र हित मधुमास मधुकर राष्ट्र हित सावन राष्ट्र हित जीवन समर्पित राष्ट्र हित तन मन आज का निर्माण अपने बाजुओं से है और कल की जीत साहस के क्षणों से है साधना आराधना से शक्ति है मिलती सँवरता उत्कर्ष अपने अनुभवों से है राष्ट्र हित अनुरोध सारे राष्ट्र हित गर्जन राष्ट्र हित जीवन समर्पित राष्ट्र हित तन मन. |
Thursday, 28 April 2011
राष्ट्र हित तन मन समर्पित...
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