उनका मकसद था
आवाज़ को दबाना
अग्नि को बुझाना
सुगंध को कैद करना
तुम्हारा मकसद था
आवाज़ बुलंद करना
अग्नि को हवा देना
सुगंध को विस्तार देना
वे क़ायर थे
उन्होंने तुम्हें असमय मारा
तुम्हारी राख को ठंडा होने से पहले ही
प्रवाहित कर दिया जल में
जल ने
अग्नि को और भड़का दिया
तुम्हारी आवाज़ शंखनाद में तबदील हो गई
कोटि-कोटि जनता की प्राणवायु हो गए तुम!!
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