Monday, 23 March 2015
Sunday, 22 March 2015
क्रांतिकारी ही नहीं शायर भी थे शहीद भगत सिंह
शहीद भगत सिंह बहुत ही बहादुर होने के साथ-साथ पढ़ाई में भी अव्वल आने वाले होनहार छात्र थे। उनकी पढ़ाई में काफी गहरी दिलचस्पी थी लेकिन वे आजादी के दीवाने थे। सिर्फ 23 साल की उम्र में जिस समय युवा शादी के सपने संजोते हैं वे हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। भगत सिंह की तुलना महान क्रांतिकारी चे ग्वेरा से की जाती है। युवाओं में इन दोनों क्रांतिकारियों का काफी प्रभाव अभी भी दिखाई देता है। भगत सिंह को पढ़ाई के साथ शायरी का भी शौक था। वे उर्दू के काफी जानकार थे और उन्होंने उर्दू में ही शायरी लिखी है। भगत सिंह की शायरी में गालिब की भी छाप दिखाई देती है। भगत सिंह के जन्मदिन पर हम आपके लिए लाए हैं उनकी पसंदीदा शायरी-
यह न थी हमारी किस्मत जो विसाले यार होता
अगर और जीते रहते यही इन्तेज़ार होता
तेरे वादे पर जिऐं हम तो यह जान छूट जाना
कि खुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता
तेरी नाज़ुकी से जाना कि बंधा था अहदे फ़र्दा
कभी तू न तोड़ सकता अगर इस्तेवार होता
यह कहाँ की दोस्ती है (कि) बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म गुसार होता
कहूं किससे मैं के क्या है शबे ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना, अगर एक बार होता!
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