गोलियाँ खायीं हैं हमने
सीने पर अपने वतन के लिए,
हो गए शहीद ख़ुशी से,
सीने पर अपने वतन के लिए,
हो गए शहीद ख़ुशी से,
खिलता रहे अपना चमन,
हिन्द की ख़ातिर जिये हम,
हिन्द पर ही मर चले,
साथियों करना हिफाज़त हिन्द की,
अब हिन्द को हम,
तुम्हारे हवाले कर चले |
है आख़री ख्वाहिश हमारी,
है आखरी ये आरज़ू,
मृत्यु शैया पर सोने से पहले,
हिन्द को कर लें नमन,
गोलियाँ खायीं हैं हमने...............
जातियों के बंधनों से
पहले से हम मुक्त हैं,
प्रेम अंदर है हमारे,
प्रेम से हम युक्त हैं,
एक होकर ही लड़े |
अब मौंत पर संयुक्त हैं,
कभी नफरतों आँधियों से
डगमगाए ना कदम,
गोलियाँ खायीं हैं हमने..............
ज़िंदा रह सकते थे,
फिर भी मौंत हमने चुना,
स्वतंत्रता का ताना-बाना
आज हमने है बुना,
स्वतंत्रता अपनी है |
इसका कोई ना कर ले हरन,
है आखरी ये आरज़ू
खिलता रहे अपना चमन,
गोलियाँ खायीं हैं हमने,
सीने पर अपने वतन,
जय हिन्द !
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