Bharat Mata Ki Jai

Bharat Mata Ki Jai
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

Monday, 10 June 2013

भारति जय विजय करे!





भारति जय विजय करे!

कनक शस्य कमल धरे!

लंका पदतल - शतदल

गर्जितोर्मि सागर - जल

धोता शुचि चरण युगल

स्तव कर बहु अर्थ भरे!

तरु तृण वन लता वसन

अंचल में खचित सुमन

गंगा ज्योतिर्जल- कण

धवल धार हार गले!


मुकुट शुभ्र हिम - तुषार

प्राण प्रणव ओंकार

ध्वनित दिशाएँ उदार

शतमुख - शतरव मुखरे!
                         

                                         - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला






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