Saturday, 26 July 2014
Friday, 25 July 2014
" मुझे अपनी आगोश में ले लो "
मुझे अपनी आगोश में ले लो !
---------- सन्तोष कुमार
थक गया हूँ मै इस जगत में,
बंदिशों के इस अथाह भँवर में,
तोड़कर सारी दुःख की बेड़ियाँ,
मुझे अपनी आगोश में ले लो !
समाज के इस ओछे बंधनों से,
कुचलते हुए इज्जत रूपी पगो से,
तोड़कर सारी दवानल ख्वाहिशें,
मुझे अपनी आगोश में ले लो !
मुझे अपनी आगोश में ले लो !
कर्जदार हूँ मैं अपने प्यारे दोस्तों का,
इस वतन का और प्यारी बहन का,
अर्ज यही फिर ना मिले जन्म इन्सान का,
मुझे अपनी आगोश में ले लो !
अर्ज यही फिर ना मिले जन्म इन्सान का,
मुझे अपनी आगोश में ले लो !
सुना है की तुम परम दयालु हो,
हर जख्म की तुम मरहम हो,
मेरी हर थकान अब मिटा दो,
मुझे अपनी आगोश में ले लो !
मुझे अपनी आगोश में ले लो !
जिंदगी के सफर का कोई मकसद है नहीं,
बहुत हो चुका अब और बेबसी, तन्हाई नहीं,
बस मुझ पर इतनी सी रहम कर दो,
मुझे अपनी आगोश में ले लो !
मुझे अपनी आगोश में ले लो !
ताकत नहीं बची लड़ने की अब ज़माने से,
छूटना चाहता हूँ मैं अब इस कैदखाने से,
हे मौत की देवी! अब मेरी तो सुधि ले लो,मुझे अपनी आगोश में ले लो !
---------- सन्तोष कुमार
Sunday, 13 July 2014
" गोलियाँ खायीं हैं सीने पर अपने वतन के लिए "
गोलियाँ खायीं हैं हमने
सीने पर अपने वतन के लिए,
हो गए शहीद ख़ुशी से,
सीने पर अपने वतन के लिए,
हो गए शहीद ख़ुशी से,
खिलता रहे अपना चमन,
हिन्द की ख़ातिर जिये हम,
हिन्द पर ही मर चले,
साथियों करना हिफाज़त हिन्द की,
अब हिन्द को हम,
तुम्हारे हवाले कर चले |
है आख़री ख्वाहिश हमारी,
है आखरी ये आरज़ू,
मृत्यु शैया पर सोने से पहले,
हिन्द को कर लें नमन,
गोलियाँ खायीं हैं हमने...............
जातियों के बंधनों से
पहले से हम मुक्त हैं,
प्रेम अंदर है हमारे,
प्रेम से हम युक्त हैं,
एक होकर ही लड़े |
अब मौंत पर संयुक्त हैं,
कभी नफरतों आँधियों से
डगमगाए ना कदम,
गोलियाँ खायीं हैं हमने..............
ज़िंदा रह सकते थे,
फिर भी मौंत हमने चुना,
स्वतंत्रता का ताना-बाना
आज हमने है बुना,
स्वतंत्रता अपनी है |
इसका कोई ना कर ले हरन,
है आखरी ये आरज़ू
खिलता रहे अपना चमन,
गोलियाँ खायीं हैं हमने,
सीने पर अपने वतन,
जय हिन्द !
Wednesday, 9 July 2014
तू ही राम है, तू रहीम है !
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू येसु मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा ।
तेरी जात पात कुरान में,
तेरा दर्श वेद पुराण में ,
गुरु ग्रन्थ जी के बखान में,
तू प्रकाश अपना दिखा रहा ।
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू येसु मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा ।
तेरी जात पात कुरान में,
तेरा दर्श वेद पुराण में ,
गुरु ग्रन्थ जी के बखान में,
तू प्रकाश अपना दिखा रहा ।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू येसु मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा ।
अरदास है, कहीं कीर्तन,
कहीं राम धुन, कहीं आव्हन,
विधि भेद का है ये सब रचन,
तेरा भक्त तुझको बुला रहा ।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू येसु मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा ।
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू येसु मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा ।
अरदास है, कहीं कीर्तन,
कहीं राम धुन, कहीं आव्हन,
विधि भेद का है ये सब रचन,
तेरा भक्त तुझको बुला रहा ।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू येसु मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा ।
Subscribe to:
Posts (Atom)