Bharat Mata Ki Jai

Bharat Mata Ki Jai
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

Wednesday 15 August 2012

स्वतंत्रता दिवस की आप सबको बधाई.



कुछ कर गुजरने की गर तमन्ना उठती हो दिल में
भारत 
माँ का नाम सजाओ दुनिया की महफिल में |

हर तूफान को मोड़ दे जो हिन्दोस्तान से टकराए
चाहे तेरा सीना हो छलनी तिरंगा उंचा ही लहराए |

बंद करो ये तुम आपस में खेलना अब खून की होली
उस 
माँ को याद करो जिसने खून से चुन्नर भिगोली |

किसकी राह देख रहा, तुम खुद सिपाही बन जाना
सरहद पर ना सही, सीखो आंधियारो से लढ पाना |

इतना ही कहेना काफी नही भारत हमारा मान है
अपना फ़र्ज़ निभाओ देश कहे हम उसकी शान है |

विकसित होता राष्ट्र हमारा, रंग लाती हर कुर्बानी है
फक्र से अपना परिचय देतेहम सारे हिन्दोस्तानी है |

स्वतंत्रता दिवस की आप सबको बधाई.

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं


रंगबिरंगी फूलों का चमन सजा हो जैसे 
हर धर्म को अपने मन में बसाया है वैसे 
विविधता की झाकियों का दर्शन कराता
अनेकता में एकता का संदेसा पहुचाता
भारतवासी को लगता जान से प्यारा 
ये हिन्दोस्तान सारा ,ये गुलिस्ताँ हमारा | 

सोने की चिड़िया करती अब भी यहाँ बसेरा 
अथांग सागर से बनी ताकत,तीनो किनारा 
हिमालय की उँची चोटिया जिसका सहारा 
नादिया उसकी गोदी में पलती,बसती,बहती 
चमकीला कोहिनूर वो,दुनिया में सबसे न्यारा 
ये हिन्दोस्तान सारा , ये गुलिस्ताँ हमारा | 

आज़ादी के बाद क्यों फैला ये अंधियारा 
किस बात की लढाईकिसने किसको मारा 

भूल जाए आपस के मतभेद आज के दिंन से 
बनाओ फिर सबको अपना एक बार दिल से  
रौशन करा दो चिरागे,खिल जाए उजियारा 
ये हिन्दोस्तान सारा , ये गुलिस्ताँ हमारा | 

एसे धीरज खोकर बिगड़े काम ना बन पाए 
हिम्मत धाडस मन में बांध ले,समझाए 
मिलकर कोशिश करो फिर हरियाली छाए 
सत्ता की नही जरूरत,वो बिसरा अमन लाए 
उठ जाओ,बढ़ाओ कदम,अब देस ने पुकारा 
ये हिन्दोस्तान सारा , ये गुलिस्ताँ हमारा | 

Sunday 12 August 2012

भारत माता को कोटि - कोटि नमन








     मैं भारत माता को कोटि - कोटि  नमन करता हूँ - संतोष कुमार

यह हिंदुस्तान है अपना


यह हिंदुस्तान है अपना
हमारे युग-युग का सपना
हरी धरती है नीलगगन
मगन हम पंछी अलबेले

मुकुट-सा हिमगिरि अति सुंदर
चरण रज लेता रत्नाकर
हृदय गंगा यमुना बहती
लगें छ: ऋतुओं के मेले


 


राम-घनश्याम यहाँ घूमे
सूर-तुलसी के स्वर झूमे
बोस-गांधी ने जन्म लिया
जान पर हँस-हँस जो खेले

कर्म पथ पर यह सदा चला
ज्ञान का दीपक यहाँ जला
विश्व में इसकी समता क्या
रहे हैं सब इसके चेले।

वंदन मेरे देश


वंदन मेरे देश-तेरा वंदन मेरे देश
पूजन अर्चन आराधन अभिनंदन मेरे देश
तुझसे पाई माँ की ममता
और पिता का प्यार
तेरे अन्न हवा पानी से
देह हुई तैयार
तेरी मिट्टी-मिट्टी कब है चंदन मेरे देश
वंदन मेरे देश-तेरा वंदन मेरे देश

भिन्न भिन्न भाषाएँ भूषा
यद्यपि धर्म अनेक
किंतु सभी भारतवासी हैं
सच्चे दिल से एक
तुझ पर बलि है हृदय-हृदय स्पंदन मेरे देश
वंदन मेरे देश-तेरा वंदन मेरे देश

पर्वत सागर नदियाँ
ऐसे दृश्य कहाँ
स्वर्ग अगर है कहीं धरा पर
तो है सिर्फ़ यहाँ
तू ही दुनिया की धरती का नंदन मेरे देश
वंदन मेरे देश-तेरा वंदन मेरे देश|

                        Santosh Kumar.